रविवार, 7 अगस्त 2011

भारत के विभाजान के लिए कौन ?

भारत विभाजान के 64 साल बाद भी "विभाजान क्यों और कैसे हुआ" की जगह ये सवाल बहुत चर्चीत हैI
की " विभाजान का दोषी कौन"
इसके लिए हम कभी अंग्रेज, तो कभी मुहम्मद अली जिन्ना को दोषी मानते है, वजह हमारी शिक्षा प्रणाली जो हमे कांग्रेस पार्टी का गुरगान करवाती है .
हमे यहाँ ये नही भूलना चाहिए उस समय गाँधी नाम का भी एक आदमी था ..जिस की आधी से जादा
ज़िन्दगी विदेशों में कटी . ये आदमी इंग्लैंड में पढ़ कर  

साउथ अफ्रीका में बस गया, वहा उसका जीवन सुख में बीत रहा था, अपना खुद का TOLLSTOY नाम
का स्कूल भी था, पर एक दिन उस पर यात्रा के दोरान  नस्ली हमला हुआ और उस को बेइजीत कर के रेल
से निचे फेक दिया,
बस यही से शुरु हुआ गाँधी का इंतकाम. तब इस आदमी ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए भारत में आ गया.
वरना ये कभी नही आता.

स्वदेशी (Swadeshi movement) अपनाओ का  आन्दोलन शुरु किया. पर ये आदमी हमेशा अपने साथ विदेशी घडी रखता था.
खुद ये आदमी मुहम्मद अली जिन्ना को कायदे-ए-आजम (महान नेता) बोलता था. और जिसे गाँधी प्रधानमंत्री का पद देने को तेयार था.
पर ऐसा क्या हुआ जो "भारत का बेटा" पाकिस्तान का पिता बन गया.
जिन्नाभाई के बेटे मुहम्मद अली जिन्ना थे जिनकी माता का नाम मिठुबाई था और पत्नी का रतनबाई .
जिन्ना को नमाज पड़ना और उर्दू नही आती थी . गाय और सूअर के मॉस में फर्क नही करता था. जो रोज़ दाढ़ी 
बनता हो और जिसे दाढ़ी न  बनाने वाले मुल्लाओ से बदबू आती हो, जो अपने आपको "मुसलमान" कहे 
जाने पर भड़क जाता था.
भला ऐसा आदमी औरंगजेब के बाद मुसलमानों का सबसे बड़ा रहेनुमा कैसे बन गया ?
जो आदमी सेंट्रल अस्सेम्बली में 1925 में खड़ा होकर दहाड़ता हो की "मै भारतीय हू, पहले भी बाद मे भी और अंत
 मे भी "
जो गोपालकिर्शन गोखले जेसे आदमी को मुलमानो का नेता बनाना चाहता हो,जो मुसलमानों को वोते देने 
को कहा, जिसने  बाल गंगाधर तिलक की छोटी सी अवमानना के लिए  वायसराय विलिग्दन को मुंबई मे अपमानित कर दिया हो. जिसने "सगिल रसूल" के लेखक राजपाल के हत्यारे अब्दुल कयूम को फासी पर लटकाने का समर्थन किया हो, लाहोर के सहीदगंज गुरुद्वारे के विवाद मे सिखों के हक़ मे लड़ा.
जिन्ना ने 1933  मे जिसने "पाकिस्तान" शब्द के निर्माता रहमत अली की मजाक उड़ाई और उनकी डिन्नर पार्टी का बहिष्कार कर दिया था.
कट्टरपंथी मुल्लाओ को जिसने "कातिल-ए-आजम" और " काफ़िर-ए-आजम" का नाम दिया हो.
सरोजनी नायडू ने जिसे " हिन्दू मुस्लिम" एकता का राजदूत कहा हो. जिसने मुंबई के अपने मुस्लिम मतदाताओ को 1934 के चुनाव मे दो टुक मे कहा था,"मै पहले भारतीय हू बाद मे मुस्लमान "
जलियावाला बाग़ और भगत सिंह के मामले मे जब गाँधी जेसा नेता हकला रहा था तो एस बेरिस्टर ने अस्सेम्बली को हिला दिया था.
1938 तक जिस नेता का रसोइया हिन्दू हो, ड्राईवर सिख, LDC पंडित, रक्षा अधिकारी गोरख हिन्दू, जिसके पार्टी अखवार का संपादक ईसाई हो और जिसका निजी डॉक्टर पारसी हो,
तो क्यों मुहम्मद अली जिन्ना ने ये कहेना शुरु कर दिया की एक मायन मे दो तलवार नही रहे सकती 
हिन्दू और मुसलमान, दो देश है, दो इतिहास,दो परम्परये, दो भाषा, दो भोजन ,दो कानून ,दो कैलेंडर और दो मंजिल.
कारण ये है.
1) 1920 के नागपुर अदिवेशन मे वो गाँधी से मात खा गए .
2) 1928 मे वे नेहेरू की एक रिपोट को सुधरने मे असफल हो गए वजह गाँधी का नेहरु प्रेम .
3) 1937 मे बड़ी  जीत के बाद भी मुस्लिम  लीग को उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल मे सामिल नही करना.
4) गाँधी और नेहेरू का प्रेम 
   नेहेरू की लड़की इन्द्रा उस समय फ़िरोज़ के प्यार मे थी, जो पंडित जी को पसंद नही था. और उन्हें ये रिश्ता पसंद नही था,तो गाँधी ने फ़िरोज़ को गोद ले कर अपना नाम दिया और इन्द्रा से शादी करवा दी.
गाँधी और नेहेरू दोनों और करीब आगए. जिस कारण गाँधी ने नेहेरू को प्रधानमंत्री बनाना चाह जो जिन्ना को पसंद ना हुआ और वो जा कर मुस्लिम  लीग मे मिल गये,और पाकिस्तान की वकालत करने लगे.
मरते हुये मुस्लिम  लीग मे नई जान आ गई...और कुछ समय बाद पाकिस्तान का जनम हुआ.
"जिन्ना सिर्फ 13 महीने पाकिस्तान के पिता रहे और पुरे 71 साल भारत माँ के बेटे रहे.
वे 40 साल के लिए भारत के लिए लड़े और सिर्फ 7 साल पाकिस्तान के लिए" 
गाँधी की एक गलती ने देश का विभजान करवा दिया